अक्सर साइकिल उठा चल देता हूँ,
जो सीख लेता हूँ वो लिख देता हूँ
Monday, 11 April 2016
करुक्षेत्र टू चंडीगढ़ रिटर्न यात्रा
बढ़कर विपत्तियों पर छा जा,
मेरे किशोर! मेरे ताजा!
जीवन का रस छन जाने दे,
तन को पत्थर बन जाने दे।
तू स्वयं तेज भयकारी है,
क्या कर सकती चींनगारी है?
वर्षों तक वन में घूम-घूम,
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है।
धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की पुण्य भूमी और दिनकर जी के रश्मिरथी काव्य का गुरूजी द्वारा पठन चंडीगढ़ से कुरुक्षेत्र तक की सारी थकान मिटाने वाला था | रात को सराय में AC कमरा होने के बाबजूद मच्छरों ने बहुत परेशान किया | सुबह 3:30 सवतः ही नींद खुल गई | सुबह 4 बजे तक चंडीगढ़ वापिस जाने के लिए निकल गए | गुरूजी और शुभम जी ने हैडफ़ोन लगा लिए और रेडियो का आनंद लेने लगे | अँधेरी सुबह और सड़क पर चलते 3 दीवाने मुझे मज़ाज़ लखनवी की आवारा की याद दिला देते हैं :
शहर की रात और मैं नाशाद-ओ-नाकारा फिरूं
जगमगाती जागती सडकों पे आवारा फिरूं
ग़ैर की बस्ती है कब तक दर बदर मारा फिरूं
ऐ ग़म-ऐ-दिल क्या करूँ, ऐ वहशत-ऐ-दिल क्या करूँ
शुभम जी सबसे आगे चल रहे थे गुरूजी बीच में और मैं सबसे पीछे ग़ज़लें गाता हुआ ख़ामोशी का आनंद ले रहा था | कुरुक्षेत्र से पीपली और पीपली से मोहरा पहुँच के पहला ब्रेक लिया और बिस्कुट आदि खाये |
ब्रेक के बाद शुभम जी में अधिक एनर्जी आ गई और वो नज़र से ओझल हो गए | गुरूजी और मैं मज़े मज़े से चलते रहे |
लोहगढ़ पहुँचने तक सुबह हो चुकी थी | साइकिल की लाइट बंद कर दी गई | शुभम जी ने एक ट्रेक्टर की रस्सी पकड़ ली और फ्री की राइड का मज़ा लेने लगे | शुभम जी ने फ्री की राइड छोड़ी तो गुरूजी ने एक और ट्रेक्टर की रसी पकड़ ली | गुरूजी को तो हम काफी देर बाद पकड़ पाए |
अम्बाला आ चुका था | थकान अपना असर दिखा रही थी | रफ़्तार थोड़ी कम हो चुकी थी और रेस्ट टाइम बढ़ गया था |
8:30 बजे लालड़ू पहुँच गए | एक ढाबे पे ब्रेक लगाई और चाय और परांठे खाए |
नाश्ता करने के बाद शरीर में नयी ऊर्जा आ गई | धूप भी तेज़ हो चुकी थी | डेरा बस्सी पहुँचने के बाद मैंने रफ़्तार बढ़ा ली और गुरूजी और शुभम जी से काफी आगे निकल आया | मैंने " WELCOME TO CITY BEAUTIFUL " बोर्ड के निचे ब्रेक लगाई और बिछड़े साथियों का इंतज़ार करने लगा |
गुरूजी और शुभम जी जब आये तो सीधे बोर्ड के पास जा के फोटो खिंचवाने के लिए खड़े हो गए | इस बात का मुझे अंदाजा था तभी वहीं पे रुक गया था |
वहां से चंडीगढ़ में दाखिल होने के बाद शुभम और गुरु जी के कॉलेज तक हम साथ साथ चलते रहे | करीब 10 बजे यात्रा समाप्त हुई |
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