चंडीगढ़ से आनंदपुर
साहिब पहुँचने की
सारी थकान रात
भर में उतर
चुकि थी | सुबह
नाश्ता करके करीब
10 बजे सराय
से निकल पड़े
| पार्किंग से साइकिल
की सवारी शुरू
की गई | पास
ही विरासत-ए-खालसा देखने गए
|
विरासत ए खालसा
एक hitech मॉडर्न म्यूजियम है
| यहाँ सिख इतिहास
को बहुत ही
डिजिटल तरीके से एक्सप्लेन
किया गया है
| कला और टेक्नोलॉजी
का बेजोड़ मास्टरपीस
है | अब तो
शायद सांस्कृतिक विरासत
को बचाने का
यही तरीका रह
गया है |
विरासत ए खालसा
देखने के बाद
रिटर्न जरनी प्लान
की गई | शुभम
जी और गुरु
जी दोनों ने
बस में वापिस
जाने का प्लान
बनाया लेकिन मैं
कहाँ साइकिल छोड़
के बस में
बैठने वाला था
| गुरूजी ने अपनी
26000 की साइकिल
ऑफर की लेकिन
मैं अपनी द
ग्रेट इंडियन रोड
बाइक हीरो हॉक
को कहाँ छोड़ने
वाला था | दोनों से विदा
लेकर मैं करीब
11:30 बजे अकेला
ही चंडीगढ़ की
तरफ निकल पड़ा
|
आनंदपुर से किरतपुर
तो आराम से
पहुँच गया | कीरतपुर
से भरतगढ़ की
तरफ चढाई है
वहां गियर वाली
साइकिल की याद
तो बहुत आई
मगर जैसे तैसे
बिना रुके चढाई
चढ़ गया |
रोपड़ से करीब
5 Km पहले
बस में से
शुभम जी मुझे
बाय करके चले
गए | आनंदपुर से
नॉन स्टॉप चलता
हुआ रोपड़ पहुंचा
| वहां पानी पीने
के बाद कुराली
पहुंचा | इस बार
कुराली फ्लाईओवर के नीचे
से जाने की
सोची | नीचे ट्रैफिक
बिलकुल भी नहीं
था | थोड़ी दूर
जाने के बाद
कारण भी साफ़ हो
गया | नीचे रेलवे
लाइन है जहाँ
कभी फाटक होता
था लेकिन शायद
फ्लाईओवर बनने के
बाद रेलवे वालों
ने फाटक परमानेंटली
ही बंद कर
दिया | पैदल चलने
वालों के लिए
निकलने का रास्ता
है वहीँ से
साइकिल उठा के
दूसरी और पहुंचा
दी और फिर
से चंडीगढ़ की
ओर चल पड़ा
|
कुराली से चंडीगढ़
की तरफ नरम
चढाई है | जोश
से भरा हुआ
मैं साइकिल भगाता
हुआ चला जा
रहा था |
मुल्लांपुर
के करीब गुरूजी
का फ़ोन आया
और कहा की
हम पहुँच गए
हैं और मैंने
कहा की 30
मिनट मे मैं
भी पहुँच रहा
हूँ | करीब 3:30 बजे
मैं भी अपने
हॉस्टल पहुँच गया |
आनंदपुर से चलते
समय मैंने यात्रा
के लिए 4
घंटे का टारगेट
सेट किया था
और जब हॉस्टल
पहुँच के मैप
चेक किया तो
यात्रा बिलकुल एस्टिमेटेड टाइम
में पूरी की
थी | जब आप
अपनी उमीदों पे
खरे उतर जाओ
तो जो सुकून
मिलता है, उसका
स्वाद ही अलग
है |
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