Thursday, 10 November 2016

चूड़धार यात्रा भाग-1

शिवालिक के शिखर पर
सिरमौर के सिर पर
बैठे हैं चूड़ेश्वर महाराज


गिरी के पार से
नौहरा की धार से
चढ़ेंगे आज

तीन यार हम चंडीगढ़ से
निकले पूरे दम से
देखेंगे आज भोले का राज

परांठे लिए नौहरा से
सामान उठाया कंधे पे
चलो करें यात्रा का आगाज़

चलो भाई पहाड़ चढ़ें
धीरे-धीरे आगे बढ़ें
देखें चूड़धार का मिज़ाज़

 रास्ता पामाल है
नज़ारा भी कमाल है
पहले परिचय करता हूँ
साथियों से मिलाता हूँ

सबसे आगे किन्नौरी है
अखियाँ बिलौरी हैं
बन्दा देसी पहाड़ी है
क्रिकेट, वॉलीबॉल का उम्दा खिलाडी है
नाम है गौरव
स्वभाव है नीरव


उसके पीछे शिमलाई है
टैलेंट की खाई है
गिटार बजता है
गाना भी गाता है
फोटोग्राफी में भी माहिर है
चित्रकला में साहिर है
नाम निशांत है
रहता शांत है


सबसे पीछे जिला काँगड़ा के नौजवान
झोला पूरा भर लाये हैं
यात्रा चाहे 2 दिन की है
रसद हफ्ते की लाए हैं
अक्सर डगमगाता हूँ
अपने बोझ तले दबा जाता हूँ
पर गीत ख़ुशी के गाता हूँ


खैर अब यात्रा पे आता हूँ
आँखों-देखी सुनाता हूँ
नौहरा से चढ़ने के बाद
समतल पगडण्डी है आबाद
लोग भले मिलते हैं
सीढ़ीनुमा खेतों में लगे दिखते हैं
पहाड़ों का जीवन है बहुत कठोर
जीने के लिए संघर्ष है पुरज़ोर
खेत बेशक छोटे हैं
लोगों का दिल बहुत बड़ा है
पहाड़ी बाशिंदा आज भी ज़िद पर अड़ा है
मुश्किल है जीना तो मुश्किल ही सही
मुश्किल की मुश्किल तो मुश्किल नहीं
मेहनत ही जीवन का मंत्र एक है
तराशे पहाड़ों ने बन्दे नेक हैं

आबादी के बाद सब सुनसान है
यहाँ जर्रे जर्रे पे वही नाम है
जिसकी है ये दुनिया
जिसकी पूरी कायनात है
वो रहनुमा जो मेरा मेरे साथ है

सघन जंगल है आगे
दोपहर में शाम जैसे
यहाँ सुनाई देती दिल की आवाज़ है
समझना है उसको जो राज़ है
रहनुमा जो मेरा मेरे साथ है



जंगल के भीतर
इक मैदान है
यहाँ पिछले साल थे ढ़ाबे
इस साल सुनसान है



यहाँ कुछ पल जो फुरसत के बिताए
खाए परांठे जो संग लाए
पेट भरा तो ऊर्जा नयी आई
बहुत आराम हो गया अब चलो मेरे भाई


धीरे-धीरे बढ़ते हैं और बढ़ती है ऊंचाई
अब जंगल ख़त्म हुआ और ज़मीन पथरीली आई
इसी के आगे जो एक मोड़ है
निगाह-ए-करम का वह जोड़ है
मोड़ मुड़ते ही होते हैं दर्शन भोलेनाथ के
लगाओ जयकारे भोलेनाथ के
वही जो बैठे हैं शिवालिक के शिखर पे
सिरमौर के सिर पे
यहाँ से कितने सूक्ष्म नज़र आते
टूटते होंसलों को जो जोश दिलाते
तुम्हारा ये राज तो कितना हसीं है
तमाम सुंदरता बस यहीं बसी है
सुनहरी पहाड़ सोने से नज़र आते
थके मन को कितना हैं भाते


वैसे तो राह में पानी की कमी नहीं है
लेकिन इस सोते का कोई सानी नहीं है
पानी थोड़ा-थोड़ा करके जो बोतल में आता
सब्र का पूरा फल है दे जाता
गले से उतरता तो अमृत के जैसे
पर ठंडा बहुत है बर्फ़ के जैसे
स्वाद है इसका बड़ा ही आलोकिक
खैर ये क्षेत्र ही है दैविक


आगे अब जो दो रस्ते हो जाते
एक पहाड़ घूम के जाता
या दूसरे से सीधा ऊपर चढ़ जाते
खैर मेरे साथियों ने रखा जिगरा है
अब तो सीधा चढ़ जायेंगे पहाड़
आखिर पहाड़ियों का तिकडा है


अब चट्टानें जो राह में आयीं
बने हम दोपाया से चौपाया भाई
किन्नौरी जो फट से ऊपर चढ़ जाता
हाथ पकड़-पकड़ फिर हमें है चढ़ाता

पहुंचे हम भोलेनाथ के पास
तो शाम ढल आई
ये नज़ारा भी क्या है खास
कि रूह खुशनुमाई



बैठे हम भोले के दरबार में कुछ पल
पता ही नहीं चला कब सूरज गया ढल
इस ओर तो रौशनी है
उस ओर तो अब रात है
जाना है जिस ओर
उसी ओर अन्धकार है
ऊँचे पहाड़ों का ये पर्दा निराला
एक तरफ अँधेरा एक तरफ उजाला
रहनुमा जो मेरा मेरे साथ चलता है
मेरा पूरा ख्याल रखता है
शिमला से जो दो देवियाँ भी आयीं
उन्होंने ही फिर नीचे मंदिर तक कि राह हमें दिखाई
ये कुदरत उसी कि करिश्मा उसी का
सूरज उसी का चंद्रमा उसी का
वही है जो सभी में विद्दमान है
वही हिन्दू है वही मुसलमान है
कितना खुला हुआ यह राज़ है
फिर क्यों आंख मूंदे सभी आज हैं
सभी ग्रन्थ कहते वही अंतिम इकाई है
फिर उसी इकाई को बाँटने क्यों तुले भाई हैं ?


मंदिर के नीचे जो छोटा मैदान है
वहीँ पर बसेरा हमारा आज है
अँधेरे में जो हमने डेरा जमाया
ठिठुरते हाथों से तम्बू लगाया
इस ठंडी रात का इम्तिहान है
बीच में तम्बू है बस
वैसे तो खुला आसमान है
आशियाना बना हमने
मंदिर में लंगर जो खाया
आज कि तमाम यात्रा के बाद
बहुत मज़ा आया
बहुत मज़ा आया

अगले भाग में पढ़िए सर्द रात के वो चार पहर..............

 जानकारी

1. चंडीगढ़ से यात्रा श्री गणेश स्थान नौराधार 135 km दूर है ओर गाड़ी से 5 घंटे लगते हैं |
अगर बस से जाना चाहें तो चंडीगढ़ से सोलन और सोलन से राजगढ़-नौहराधार-हरिपुरधार वाली बस में बैठ जाएं |

2. इस यात्रा में पानी कि कोई कमी नहीं है 1 लीटर कि बोतल से काम बन जायेगा |

3. यात्रा 16 km लंबी है और रस्ते के बीच में कोई ढाबा नहीं है | अपना खाना नौराधार से पैक करवा सकते हैं | यहाँ ढ़ाबों कि अच्छी सुविधा है | अगर नौहराधार पहुँचने में देर हो जाए तो यहाँ रहने कि सुविधा उपलब्ध है | PWD का रेस्टहाउस भी है |









5 comments:

  1. अच्छा लिखा है ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया भाईसाहब |

      Delete
  2. Replies
    1. नेगी भाई मज़ा तो आपने ला दिया !!!

      Delete
  3. शोरभ अच्छा लिखा कुछ शब्द समझ नहीं आये पर तुकबंदी में भाव समझ आ गया . फोटो कमाल के आये है बाद में जो जानकारी दी वो काफी सहायक है .

    ReplyDelete